यूँ तो सदियों से खामोश ही रहती आई है औरत ने अभी ही कुछ कहना शुरू किया है घर जाकर देखो कहीं खामोश तो नहीं वह इतनी बातें हैं कहती ही रहेगी अगली सदी तक
हिंदी समय में नरेंद्र जैन की रचनाएँ
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